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अंबर का भूप

अंबर के भूप - the king of sky


हे अर्क तुम्हें किसने दिया,
ये सोने सा रूप |
शाश्वत उज्ज्वल विचरण करते,
तुम अंबर के भूप ||

नभ मे बज्रमणि सा उगकर,
फैलाते उजियारा |
कण-कण मे उमंग भर देता,
किरण जाल तेरा ||

तम को कर परास्त जब उठते,
तुम नीले अंबर मे |
पुष्पित होते क्रोड कमल के,
सबके हीं उर मे ||

झेल कष्ट को अपने ऊपर,
तुम देते नवजीवन |
प्रगति पथ आलोकित करते,
हे ज्योति के नन्दन ||

कृष्ण मेघ जब घिर आते हैं,
कर तुमपर मनमानी |
सप्तवर्ण कृत शुष्ठु इंद्रधनु,
देख मेघ पानी ||

संध्याकाल श्रांत होकर जब,
आते तुम नीचे |
नीलांबर लोहित हो जाता,
दृष्ट पलक खींचे ||

रंजित रक्त सौम्य किसलय सा,
अद्भुत अनुपम |
देख लालिमा मनोहारिणी,
छंट जाते गम ||