Pages

छोटे दिल वाला शिकारी


a shallow hunter - छोटे दिल वाला शिकारी


बहुत साल पूर्व एक विकट दुर्योग में किसी खूबसूरत लड़की को मुझसे प्यार हो गया - ऐसा लोग कहते हैं, मै नहीं| ये तो मेरा छोटा सा कमीना दिल हीं जानता है कि इसके दिवार इतने जर्जर क्यूँ हैं, और इसने अंततोगत्वा धड़कने वाले उबाऊ रोजगार से हाथ क्यूँ जोड़ लिया है| परन्तु, यह मुख्य बिंदु नहीं है, जरूरी बात यह है कि किसी को शायद मुझसे प्यार हो गया| यूँ तो मेरी माँ ने भी आजतक मुझसे प्यार नहीं किया| मेरी तथाकथित महिष निद्रा को तोड़ने के लिए उसने भी कष्ट उठाकर बरतन पटके हैं, दरवाजे बजाये हैं| मगर उस निरीह लड़की को प्यार हो गया तो भई हो गया| सच तो यह है कि मैंने आजतक किसी को अपनी ओर प्यार से देखते हुए नहीं देखा| पक्ष में तो बोलना तो दूर, मैंने अपना पक्ष सुनने वाली कोई लड़की आजतक ढूंढ नहीं पाया| अलबत्ता, फिर भी किसी लड़की को मुझसे प्यार हो गया|

मै यह सोचकर अति रोमांचित हूँ कि सचमुच कोई हसीना मुझपे भी मेहरबान हो सकती है| दूर से हीं शैतान नजर आनेवाले इस शारीरिक खोल के अन्दर छुपे हुए शिकारी के वजूद में मीठी सी गुदगुदी होने लगी है| हसीनाओं के व्यंग को मजाक मानकर दिल बहलाने वाले मुझ हास्य रस के धनी ने सिर्फ कल्पना में हीं किसी सुंदरी से साक्षात्कार किया है| तभी तो कहा गया है कि खुदा मेहरबान तो गदहा पहलवान| मन में ऐसा विचार आते हीं मै अपनी भुजाओं की ओर गर्व से निहारने का प्रयत्न करता हूँ, फिर याद आता है कि रिश्तों के खेल में तो मै सदा से हीं पटखनिया खाते आया हूँ| लडकी तो दूर, लड़के भी मेरा हाल बगैर जरूरत नहीं पूछते| हाँ, बचपन की बातें अलग हैं, मगर प्यार होने के लिए विकसित दिमाग का होना अत्यन्त जरूरी है, ऐसा प्रेम गुरु भी स्वीकारते हैं| मसलन, इस अप्रत्यासित खुशखबरी पर अचंभित हूँ कि किसी लडकी को मुझसे प्यार हो गया|

मै विश्लेषकों और आलोचकों के नजरिये पर पानी नहीं फेरना चाहता| स्वयं मै भी इस उड़ती हुई खबर से उत्साहपूर्ण हैरत से लबारेज हूँ| किन्तु, दुनिया हवाई कीलों के सहारे नहीं चलाती| इसीलिए मै इस बात पर पूरी ईमानदारी से आश्वस्त होना चाहूँगा कि सचमुच ऐसा चमत्कार हुआ, ताकि बाद में अति निराशा का शिकार होकर मानसिक मरीज न बन जाऊं| मै अपने इतिहास को टटोलता हूँ| वह कौन सी लडकी हो सकती है| कहीं वह तो नहीं जो मेरे फिसलने पर ठठाकर हंसी थी, मगर वो तो तब भी हंसी थी जब मै काम समाप्त कर शाम को लस्त-पस्त होकर घर लौटा था और कंस्ट्रक्सन साईट के वर्कर जैसा लग रहा था| एक-आध लड़कियों ने मजबूरी में मदद जरूर मांगी, मगर बाद में न तो मैंने और न हीं उन्होंने मुड़कर देखा, अतः उन्हें भी प्यार वाले क्लब में नहीं रख सकता| प्रोग्राम देखकर ताली बजानेवाली और रिसेप्शन पर मुस्कुरा कर जवाब देने वाली लड़कियों को मै तो क्या कोई अव्वल दर्जे का सिरफिरा भी गलतफहमी की निगाह से नहीं देखेगा| सो उनको रहने हीं देते हैं|

फिर आखिर किस अभागन का मन गलत दिशा में जाकर डोला है| मैंने पहले हीं पंडितों से सुन रखा है कि बचपन में प्यार नहीं होता क्योंकि तबतक लड़की अपनी अहमियत ठीक से समझ नहीं चुकी होती है, उस वक्त वह किसी भी ऐरे-गैरे से मुंह लड़ाती चलती है| मै भी इस बात पर हामी भरता हूँ| थोड़ा और गहरा जाते हैं| पिछले कई सारे वर्षों पर नजर डालता हूँ तो घर के बाहर की किसी लडकी से आमने-सामने बात नहीं हुई| एक बार साथ काम करने वाली लडकी से रिक्शा शेयर किया था, मगर मेरा अनुभव कहता है कि वह मुझे यूँ हीं बेकाम का अजूबा समझती थी और रिक्से पर भी काफी किनारे खिसक कर बैठी थी| एक और लडकी थी जो एक दिन मुझसे फिर एक दिन बगल वाले से बात कर के मेरा मूड भांप रही थी, मगर उसके प्रयास में कोई सीरियसनेस मुझे नजर नहीं आया और उसने भी दरअसल मुझ बगैर फुले हुए गुब्बारे को फोड़ने में अपना कीमती वक्त जाया किया| फिर भी दुनिया कहती है तो कोई हीरा हाँथ जरूर लगा है जो बेशक अँधेरे में नहीं चमकता| मेरी मजबूरी है कि टेलीग्राफी (मन से मन की बात) को भी प्यार का हथियार मानकर उस नायाब मोती की खोज करूँ जो स्वयं हीं मेरा शिकार बनने को आतुर है|

वैसे तो मेरे पीछे भी अनगिनत लड़कियों ने समय-समय पर दिमाग खटाए हैं, मगर कुदरती शाप की वजह से मै एक ऐसा पुरुष पृथ्वी पर पैदा हुआ जो लड़कियों का भी दिमाग पढ़ लेता है| इसके साथ हीं व्यक्तिगत तौर पर मुझ गंवार का मानना है कि जहां दिमाग लग जाता है वहाँ प्यार नहीं होता, सौदा होता है| मेरी इसी खामी की वजह से कोई लड़की मुझे नाहक हीं फँसाकर अपने पीछे घूमा नहीं पायी - जिसका मुझे उम्र भर पछतावा रहेगा| क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता तो मेरे पास आज घोर जरूरत के वक्त एक अदद लिस्ट की इतनी कमी नहीं होती| यही कारण है कि मै यह मानने पर विवस हूँ कि किसी ने मन हीं मन मेरी कल्पना कर ली है, और उसने मेरी उस कल्पना से प्यार भी कर लिया है| मै उस दिन से भय खाता हूँ जब मन हीं मन वह मुझसे शादी कर के बच्चे भी पैदा कर दे, और एक दिन बच्चे अचानक मेरे सामने उपस्थित होकर कहें कि डैडी, मेला घुमाओ ना|

अपने जीवन मे जिन दो-चार लड़कियों ने मुझ से बात की हैं वो मेरी हीं तरह पूरी फ्रैंक और सुलझी हुई थीं| इसीलिए उन्हे प्यार वाले कीचड़ मे घसीटना उनकी ईमानदारी के प्रति विकट अपराध होगा| रही बात मनमोदक खाने वाली लड़कियों की तो टेलेग्राफी के जरिये उनकी बात मुझतक पहुँच गयी होती, किन्तु क्या करूँ मुझे आती हीं नहीं| अपने बुरे वक्त मे मुझे उन पहली नजर मे हीं खारिज की गयी हसीनाओं के अंदर भी प्यार की असीम संभावनाएं नजर आने लगी है, मगर क्या करूँ एक हसीना पहले हीं पीछे पड़ गयी है, जिसका पता भी नहीं चल पाया है| अब मै तो क्या आप सब भी समझ हीं गए होंगे कि प्यार चाहें जैसा भी हो बुरे वक्त पर किसी गूफे की खोह मे जाकर छुप जाता है| इसीलिए अपने प्रयास मे विफल होकर मुझ नादान की उस अंजान कन्या से यही गुजारिश है कि मेरे अच्छे वक्त का इंतजार ना करे और किसी अच्छे आसामी को देखकर अपना जीवन सफल कर ले| वरना, मेरे अच्छे वक्त का कोई भरोसा नहीं और अच्छा वक्त आ जाने के उपरांत मुझ छोटे दिल वाले अत्यंत हीं छोटे आदमी का कोई भरोसा नहीं|