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भोजन करने की स्वास्थ्यप्रद आदतें


healthy and balanced diet - स्वास्थप्रद एवं संतुलित भोजन


भोजन इंसान के जीवित रहने के लिए प्रमुख आवश्यकताओं मे से एक है | भोजन करने की अच्छी आदतें जहां हमे एक बलिष्ठ एवं निरोगी काया प्रदान करती  है, वहीं गलत तरीके से खाने से शरीर अनेक बिमारियों का वाहक भी हो सकता है | वही खाना जो हमे जीवन देने का कार्य करता है, अगर गलत तरीके से और गलत परिस्थितियों मे लिया जाय तो अनेकों बार जिंदगी को गहरे संकट की ओर धकेल देता है | इसलिए आधुनिक समय मे जब मनुष्य  की दिनचर्या और आबोहवा जहरीली और विषाक्त हो चुकी है, भोजन करने की सही विधि का चुनाव और सही जानकारी अत्यंत हीं आवश्यक हो गया है |

भोजन और स्वास्थ्य का है गहरा संबंध 


अगर आप सोंचते हैं कि केवल भोजन मे ऐसा रखा हीं क्या है जो चिंतित हुआ जाये तो आप सर्वथा गलत है | शरीर की 50% व्याधियों के लिए अकेले भोजन और पानी हीं ज़िम्मेवार हैं | ऐसा शायद हीं कोई इंसान हो जिसे पेट संबंधी किसी बीमारी ने प्रभावित नहीं किया हो | सच तो यह है कि शरीर के अनेकानेक रोग जो सीधी तरह से पेट के मर्ज से संबन्धित नहीं हैं, पेट के हीं रास्ते उत्पन्न होते हैं | इसलिए पेट को साधना देह को हमेशा स्वस्थ और फिट रखने का सबसे अचूक और जरूरी कदम है | आइये नजर डालते हैं कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर |

क्या खाएं, क्या न खाएं?


संतुलित भोजन एक सबल एवं फिट काया के लिए सबसे जरूरी अवयव है | अपने सुबह के भोजन मे कार्बोहाइड्राटेस के अलावा प्रोटीन एवं सलाद को सम्मिलित करें | सुबह को हमारे शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो दिनभर तरोताजा रहने के लिए आवश्यक है | अतः चावल, रोटी, मोटे अनाज एवं कई सारे फलों के लिए यह उचित वक्त है | हरी सब्जियाँ एवं सलाद अधिकतर सुबह एवं दोपहर के वक्त हीं ली जानी चाहिए | ये जरूरी रेशे प्रदान करती हैं जो कब्ज आदि बिमारियों से आपको बचाती हैं | कई बार हम सुबह के नास्ते को छोड़ देते हैं | यह सर्वथा गलत है | बल्कि इस बक्त हमे सबसे अधिक पोषण की जरूरत होती है |

दिन का भोजन आयुर्वेद के अनुसार सबसे गरिष्ठ होना चाहिए | सलाद और हरी सब्जी, साथ मे ढेर सारा प्रोटीन आपको संतुलित आहार प्रदान करते हैं | अगर आप व्यायाम करते हैं, जोकि सबके लिए जरूरी होता है, तो व्यायाम के पश्चात प्रोटीन का आहार जरूरी होता है | हर किस्म के दाल, चना, मूँगफली, अंडा और मांस-मछली प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं | इन्हे अपनी भोजन मे यथासंभव सम्मिलित करें | सब्जियाँ हर रंग की हों तो हर तरह के विटामिन स्वयं हीं आहार मे सम्मिलित हो जाते हैं | गाजर, मूली, पालक, फूलगोभी, पातगोभी, टमाटर, परवल, भिंडी, लौकी, पपीता इत्यादि सभी मौसमी सब्जियों का बदल-बदल कर उनका आनंद लें | इस प्रकार आपको खनिज एवं विटामिन प्रचूर मात्र मे प्राप्त होते रहेंगे | नींबू, अदरक, धनिया और लहसूँ जैसे मसाले न सिर्फ भोजन का जायका बढ़ाते हैं अपितु स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक भ हैं | भोजन के कुछ समय पश्चात मौसमी फल ग्रहण कर सकते हैं |

रात का भोजन हमेशा हल्का रखें | इस वक्त वसा से युक्त भोजान लेने की आदत सर्वथा उचित है | इससे वसा मे घुलनशील विटामिन और ओमेगा फैटी एसिड मिलने से आपका दिनभर का आहार सम्पूर्ण हो जाता है | अपने दैनिक आहार मे दहि एवं मट्ठे को कदापि नजरंदाज न करें मगर इनका सेवन यथासंभव दिन मे हीं करें | कुल मिलाकर अपने दैनिक आहार मे कार्ब के बजाय प्रोटीन को तवज्जो दें |

कब खाएं, कैसे खाएं?


सुबह को फ्रेश होने के तुरंत बाद अथवा व्यायाम के पश्चात भोजन करना सबसे उपयुक्त रहेगा | यह हमेशा याद रखें कि भोजन करने के इतने सारे नियमों के बीच सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि भोजन तभी करें जब भूख लगे | आपका शरीर इस बात को पहचानने मे कत्तई असमर्थ नहीं है कि आपको कब किस बात की जरूरत है | यह उचित वक्त पर अवश्य हीं सिग्नल दे देता है | यह भी ध्यान रखें कि अधिक देर तक भूखे न रहें | अगर अपरिहार्य कारणों से आपको भूखा रहना पड़े तो भरपेट जल का पान करें, और शरीर को हाइड्रेट रखें |

हमेशा हर आहार के बीच मे कम से कम तीन से चार घंटे का अंतर रखें और आमाशय को अपना काम करने का अवसर प्रदान करें | दिनभर बींच बींच मे कुछ न कुछ खाते रहने से गैस की समस्या उत्पन्न हो सकती है तथा भोजन के पाचन मे भी व्यवधान हो सकता है | बच्चों को व्यस्कों के मुक़ाबले कम समय पर आहार चाहिए, इस बात का अवश्य ख्याल रखें | शाम को सोने से कम से कम दो-तीन घंटे पहले खा लें | अच्छे पाचन और उत्सर्जन के लिए यह काफी जरूरी है |

आहार के साथ जल भी है जरूरी 


भोजन के सही पाचन, अवशोषण और निष्कर्षण के लिए उचित मात्र मे पानी पीना जरूरी होता है | पाचन के हरेक स्तर पर शरीर को जल की आवश्यकता होती है | अतः, आवश्यकतानुसार जाड़ों मे दो से तीन लीटर और गर्मियों मे औसतन चार से पाँच लीटर पानी अवश्य पियेँ | मगर इस बात पर ध्यान दें कि खाते वक्त पानी न पियेँ अन्यथा एसिडिटी और गैस का प्रोब्लेम आ सकता है | भोजन से कम से कम पंद्रह मिनट पूर्व जल पीना छोड़ दें और कम से कम चालीस मिनट बाद हीं जल ग्रहण करें | दो आहारों के बीच मे यथायोग्य जल का पान करें |

भोजन संबन्धित कुछ अन्य जरूई सुझाव 


भोजन से जुड़ी निम्न बातों का हमेशा ध्यान रखें, ये आपको काफी समय तक युवा एवं जीवंत रखने मे सहायक सिद्ध होंगी,

  • कभी भी पेट भर से ज्यादा न खाएं, साथ हीं भूखे भी न रहें |
  • भोजन करने से पूर्व हमेशा हाथों को साफ करें, यह छोटी सी बात है मगर कई बार अनदेखी की जाती है |
  • नमकीन एवं मीठे व्यंजनों को एक साथ लेने से परहेज करें | हालांकि भोजन के पश्चात थोड़ा सा मिष्ठान्न पाचन मे सहायक बताया गया है |
  • सलाद दिन के लिए हैं और फैटी भोजन रात के लिए – यह नियम याद रखें |
  • आहार मे ज्यादा नमक अथवा ज्यादा चीनी - दोनों हीं घातक हैं | अतः इनसे बचें |
  • दूध एवं दही के साथ फल, सलाद अथवा मांस खाने से परहेज करें | यह पाचन से जुड़ी समस्याओं को दावत दे सकता है |
  • स्टील अथवा लोहे के पात्र मे हीं खाना पकाएं तथा अल्युमुनियम के प्रयोग से बचें |
  • तांबे के बरतन मे पानी रखें परंतु फल अथवा भोजन कदापि नहीं | सुबह को तांबे के पात्र का पानी पीने से कई तरह के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं|
  • कभी भी हड़बड़ी मे भोजन न करें | शांत चित होकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं |
  • खाना खाते समय फोन दूर रख दें और मन से आहार ग्रहण करें | न हीं खाते हुए काम करें, न हीं चलते हुए खाएं |
  • रात्रि भोजन के उयपरान्त कुछ वक्त टहल लेने से पेट हल्का होता है, और कब्ज की शिकायत दूर होती है |


भोजन करने के अनेक नियम हो सकते हैं | विशेष परिस्थितियों मे विशेष प्रकार का भोजन अलग-अलग व्यक्तियों के काम आ सकता हैं | परंतु जो बात सबसे अधिक जरूरी है वह है आत्म-संयम | उपरोक्त सुझाव हर परिस्थिति मे अधिकांश लोगों के काम आ सकती है फिर चाहे वह संसार के किसी कोने का ही क्यों न हो | किन्तु स्वयं पर नियंत्रण न रख पाने की स्थिति मे ये आसान सुझाव भी व्यक्ति अमल पर नहीं ला पाता जिससे कब्ज, मोटापा, गैस इत्यादि व्याधियाँ सहज हीं उसे अपना शिकार बना लेती हैं | इसीलिए सौ बातों की एक बात, स्वयं पर एवं अपने भोजन पर काबू पाइये और एक स्वस्थ एवं तंदरुस्त जीवन का आनंद लीजिये |