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असफल होने पर क्या करें


what-to-do-after-failure - एक असफल व्यक्ति बैठा हुआ


दुनिया मे ऐसा कौन सा मनुष्य होगा जिसने कभी असफलता का स्वाद नहीं चखा हो | बड़े से बड़े सफल व्यक्ति को भी कई बार नियति के हाथों मात खानी पड़ती है और अपनी हार स्वीकार करनी पड़ती है | फिर सामान्य इन्सानों की क्या बिसात | अमूमन हमे अक्सर हीं किसी न किसी प्रकार के ठेस का शिकार होना पड़ता है | परंतु, कई बार हमारी असफलता का भार इतना होता है कि हम उससे उबर पाने मे खुद को सर्वथा असमर्थ पाते हैं | यही वह वक्त है जब हमारे धैर्य की परीक्षा होती है | लेकिन अनेक मौके ऐसे भी आते हैं जब धैर्य भी हमारा दामन छोडने लगता हैं | फिर नाकामयाबी के उस अंधकार से निकल पाना हमारे लिए निहायत हीं मुश्किल काम होता है |

हम सभी ऐसी दुनिया मे रहते हैं जहां सफल व्यक्तियों का कदम चूमा जाता है, परंतु असफल लोगों को कोई नहीं पूछता | उनके अपने भी उनसे नजरें चुराने लगते हैं | ऐसे मे कुछ ठोकरें ऐसी होती हैं जो हमारे वजूद को झकझोर कर रख देती हैं | ऐसे मे स्वयम को कैसे संभालें? कैसे निजात पाएँ हार की मानसिकता पर? कैसे धरें फिर से जीत के रास्ते पर कदम? आइये जानते हैं कुछ उपयोगी सुझाव |

हार हीं जीत की पहली सीढ़ी है 


यदि आप इतिहास को टटोल कर देखें तो पाएंगे कि हर सफल व्यक्ति अगणित बार असफल होने के बाद हीं अंततोगत्वा विजय का दीदार कर पाया है | कुछ अपवादों को छोड़ दें तो उस हरेक व्यक्ति को अपने प्रयास को छोड़ देने का विचार भी मन मे आया था | परंतु, उन्होने हार नहीं मानी | थॉमस अल्फा एडिशन तो दसवीं की परीक्षा मे फेल हो गए थे | बल्ब के आविष्कार के पूर्व उन्होने करीब हजार बार प्रयास किया था | परंतु अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत उन्होने अंततः वह कर दिखाया जो आधुनिक दुनिया के लिए एक मिशाल बनाकर रह गया | अतः, सबसे पहले तो आप यह मान लें कि हार हीं जीत की ओर बढ़ा पहला कदम है | जबतक आप खुद हार नहीं मान जाते, आप प्रयासरत रहते हैं, और यही प्रयास आपको अंत मे सफलता के दर्शन कराती है |

असफलता को साहस पूर्वक स्वीकारें 


असफलता के कई कारण हो सकते हैं, परंतु आपको यह मानना होगा कि यह आपकी हीं किसी भूल का नतीजा है | हर मनुष्य भूल करता है, परंतु उनसे पार वही पाता है जो उनकी खोज कर उनमे सुधार भी करता है | अतः, हमेशा भाग्य को कोसने के बजाय उन कारणों पर ध्यान दें जिन्होंने आपको पीछे की ओर खींचा | आप पाएंगे कि आप भी कहीं न कहीं दोषी हैं | परंतु, ऐसा सोंचते हीं न रहें | जो बात बीत गयी उसे भूलकर स्वयं मे जरूरी बदलाव लाएँ | आपकी राह खुद ब खुद आसान हो जाएगी |

बीती को बिसार दें 


अपने पराभव को याद कर कर दुखी होने से दरअसल किसी को फायदा नहीं हुआ | असफलता भी जिंदगी का एक पन्ना भर होती है, और उसका महत्व वहीं तक सीमित रहने दें | जिंदगी ने जो आपको दिया है उसपर नाज करें और उनकी खुशी मनाएँ | अगर कुछ न हो सके तो अपनी पुरानी अच्छी यादों को सँजोएँ, और उनसे प्रेरणा ग्रहण कर आगे की ओर कदम बढ़ाएँ | याद रखें, जिनकी आखें नहीं वो भी जीते हैं, जिनके पाँव नहीं वो भी जीते हैं, और वो भी इसी दुनिया मे जीते हैं जो अनाथ होते हैं | जब आप औरों के दुखों से अपनी तुलना करेंगे तो पाएंगे कि दरअसल आपका दुख बहुत हीं तुच्छ है |

खुद को अकेला न होने दें 


असफलता के बाद अधिकांश लोग खुद को दुनिया से काट लेते हैं | यह एक बड़ी भूल है | आप जीतें या हारें आपको इसी दुनिया मे रहना है | ताने सुनाने वाले दोस्तों और दूर भागने वाले रिशतेदारों से भी नाता बनाकर रखें | ये वही लोग है जो अगली बार आपके सफल होने पर आपकी वाहवाही करते नजर आएंगे | अपने इष्ट-मित्र और नजदीकी लोगों से बात-विचार करें और हार की बेला को हँसकर गुजार दें | सबसे बड़ी बात कि हार को खुदपर हावी न होने दें, और अपने व्यवहार को संयत रखें | इस प्रकार आप हारकर भी जीत जाएँगे, और आपको या किसी और को आपकी असफलता का आभास भी नहीं होने पाएगा |

मनोरंजन करें, चुस्त-दुरुस्त रहें 


नाकामयाबी के दंश को दूर भगाने का सबसे बड़ा तरीका है मनोरंजन | अपने पसंद की रुचियों मे मन रमाएं, और दोस्तों के साथ मस्ती करें | पिकनिक पर जाएँ, पार्टी करें | खुद मज़ाक न बनें, बल्कि असफलता का हीं मज़ाक बना दें | ऐसे समय मे विशेषकर उन दोस्तों के साथ समय गुजारें जो आपको प्रोत्साहित और आशान्वित करते हों | अपनी दिनचर्या और स्वस्थ का भी पूरा खयाल रखें | जान है तो जहान है कि तर्ज पर खुद को बचाए रखें | आप पाएंगे कि जल्द हीं पराभव का कष्ट आपके मनमानस से विदा ले चुका है, और आप अपनी अगली लड़ाई के लिए तैयार हो चुके हैं |

ध्यान-योग का सहारा लें 


अगर असफलता ने आपके मन पर गहरा आघात छोड़ा हो, और आप उस गर्त से खुद को निकाल नहीं पा रहे हों तो योग इसका एक समाधान बन सकता है | मश्तिष्क को शांत-चित करके ध्यान मे रमाएं | कई आसन जैसे शवासन, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि आपके चित हो शांत करने मे सहायक एवं प्रभावकारी हैं | अगर आपको योग का कोई ज्ञान नहीं तो अनुभवी ज्ञाता अथवा योग-शिक्षक की मदद लें | कई बार गहरे से गहरे अवसाद को भी बाहर निकाल करने मे योग आश्चर्यजनक रूप से सक्षम सिद्ध हुआ है | इसका फायदा उठाएँ |

पुनः प्रयास करें 


एक बार असफल हो जाने पर हार मान लेना पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान प्राणी के क्षमता के उपयुक्त आचरण नहीं है | अतः, एक अदना सी हार से चुप ना बैठें | कुछ समय बीतने के उपरांत स्वयं को एक और मौका दें, और इसबार पिछली गलतियों को न दुहराएँ | इस दरम्यान अपनी इच्छाशक्ति और मनोबल को फलने-फूलने का अवसर दें | जब लगे कि आप पुरानी बातों से पार पा चुके हैं तो दुगनी शक्ति से पुनः आपने कार्य मे जुट जाएँ | बहुत संभव है इस बार आप अपने मकसद मे कामयाब हो जाएँ, और अपनी पिछली असफलता पर हंसने के काबिल भी |